शुक्रवार, 22 जनवरी 2010

क्योकि किसान विज्ञापन नहीं देता

उत्तरप्रदेश •े गन्ना •िसानों •े प्रदर्शन •े बाद •ेन्द्र सर•ार क्या झु•ी छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्य •े धान •िसानों ने भी गलत फहमी पाल ली •ि हम सर•ार •ो झु•ा लेगें। राजधानी दिल्ली से सटे पश्चिमी उत्तरप्रदेश,पंजाब हरियाणा या राजस्थान •े •िसानों •े •िसी भी आन्दोलन •ो मिडिया में इतना अधि• •वरेज मिलता हैं •ि वहा सर•ारों •ा झु•ना स्वाभावि• सा नजर आता हैं। दरअसल मिडिया •ी टीआरपी •ा फंडा छत्तीसगढ़ •े •िसानों •ी समझ से परे हैं। इसीलिए तो छत्तीसगढ़ जैसे नवगठित राज्य में •िसानों •े हालात बद से बदतर हैं। यहा •ा •िसान •र्ज में जन्मने और मरने •ी पीड़ा •ा आदी हैं। यहा पिछले दो महिनों से सर•ार •े वादाखिलाफी •े आरोप में •िसानों •े आन्दोलन तेज हुए हैं। यह महज संयोग ही हैं •ि जिस धमतरी जिले से •िसान आन्दोलन •ा आगाज हुआ वही बेमौसम बरसात से बरबाद धान •े ए• छोटी जोत •े •ाश्त•ार ने आत्महत्या •र राज्य •े प्रमुख विपक्षी दल •ांग्रेस •ो सर•ार •े खिलाफ ए• मुद्दा दे दिया। हाल ही में •िसानों •े महाबन्द •ो मिडिया में जब •िसानों •े आशानुरूप स्थान नही मिला तो उन्होने अपनी पीड़ा •ुछ इस तरह •ही •ि,,हमे सर•ार त• अपनी बात पंहुचाने •े लिए,प्रचार साधनों में दिखने या छपने •े लिए ए• तो आत्महत्या •रनी पड़ती हैं या फिर आगजनी •रनी पड़ती हैं,,जब पूछा •ि ऐसा क्यों, तो •िसानों •े समूह •ा सपाट सा जवाब था क्यो•ि हम मिडिया •ो विज्ञापन नही दे स•ते? जब हमारे ही भोजन •ा इन्तजाम नही तो मिडिया •ो •हा से दे? प्रतिप्रश्न •े रूप में •िसानों •ा समूह फिर उत्तेजित हो•र •हता है •ि चेंबर आफ •ामर्स या फिर •िसी राजनीत• दल •ा बंद या महाबंद होता तो सफल नही होने पर भी मिडिया उसे सफल •र देता। •िसानों •े यक्ष प्रश्नों •ा दौर यही समाप्त नही होता। •िसान पूछ रहा हंै •ि राज्य बने दस साल हो गये दोनो दलों •ी सर•ारे रही और हैं। राज्य •ी •ृषि नीति •ा मसौदा सर•ारी दड़बे से बाहर क्यो नही आ रहा हैं? उस मसौदे में ऐसा क्या है जिसे सार्वजनि• •रने में डर लग रहा हैं। धान •े •टोरे •े रूप में चर्चित इस राज्य में •ृषि नीति छोड़ •र सारी नीतियां हैं। उद्योग नीति,आवास नीति,शराब नीति,यहा त• •ी आदिवासी वोट बैं• साधने •े लिए बस्तर,सरगुजा वि•ास प्राधि•रण भी हैं ले•िन राज्य •े •िसान •े लिए •ोई नीति फिलहाल सर•ार •े पास नही हैं। उद्योग नीति से •िसान •ी जमीन तो जा रही हंै और जिस•ी जमीन नही जा रही हैं उस•ी खेती योज्य जमीन उद्योगो •ी चिमनी •ी राख से •ाली हो रही हैं.यानि देर सबेर उसे बेचना पड़ेगा। शराब नीति से क्या हो रहा हैं यह बताने •ी जरूरत नही हैं,अलबत्ता आवास नीति से •ांं•्रीट •े जंगल खड़े हो रहे हैं। खेती •ा •म होता र•बा,वर्षा •ी •मी से गिरता भूजल स्तर,उत्पादन और लागत •े बिगड़ते अनुपात,और सभी क्षेत्रों में •मरतोड़ महंगाई ने राज्य •े •िसानों •ी हालत खराब •र दी हैं। यही वजह है •ि राज्य में भी •िसानों •ी आत्महत्या •ा दौर शुरू हो गया हैं। जो विपक्षी दल •िसान •ी आत्महत्या पर राजनीति• रोटी से• रहा हैं उसनें पिछली पंचवर्षीय में विधानसभा या और •िसी फोरम पर सर•ार से यह क्यो नही पूछा •ि राज्य •ी •ृषि नीति •ा मसौदा •हा हैं? राज्य •े धमतरी जिले •े •िसान आशाराम पटेल •ी पीड़ा पर यदि गौर •रे तो आम •िसान •ी दशा सामने आ जाएगी। आठ ए•ड़ •े इस •ाश्त•ार •े पास बोर तो हैं ले•िन उसमें पानी नही हैं। सर•ार फ्री में बिजली दे भी दे तो उस•े •िस •ाम •ी। पिछले साल •े अ•ाल •े •ारण सोसायटी •ा •र्ज नही पटाया तो सर•ारी रि•ार्ड में डिफाल्टर हैं। इस साल •ी फसल •े लिए गांव •े साहू•ार से तीन रूपए सै•ड़े •ी दर से ब्याज पर पैसा लिया फसल बोई और पानी गायब,फलत: मवेशियों •ो फसल चरानी पड़ी। अब सं•ट यह •ि साहू•ार •ा मूलधन लौटाने त• खेत •ो गिरवी रखना हैं यानि जब त• साहू•ार •ा •र्ज न पटे उस पर साहू•ार खेती •रेगा। चूं•ि उस•े खेत में बोर,है पम्प है इसलिए वह गरीबी रेखा से उपर हैं तो फिर ए• व दो रूपए •िलों •ा चावल भी नही पाएगा। और रोजगार गारन्टी •ा •ाम भी नही। यानि त•नी•ी तौर पर न तो अब •िसान रहा और न ही मजदूर। और सामाजि• ताना बाना भीख मांगने •ी इजाजत नही देता। तो उसे •हा जाना चाहिए? क्या •रना चाहिए? राज्य •े स्वनामधन्य •िसान नेताओं •ी पृष्ठभूमि पर यदि नजर डाले तो •ोई साहू•ार, •ोई जमींदार और •ोई मालगुजार हैं। ऐसी स्थिति में छोटी जोत •ा •ाश्त•ार खेतिहर मजदूर •े अलावा क्या हो स•ता हैं? •ाम •े लिए पलायन •े सवाल पर सर•ारी नुमाईन्दो •ा जवाब होता हैं •ि यह तो परम्परागत पलायन हैं। जोगी •ार्य•ाल में राजनीति• तुष्टि•रण •े लिहाज से ए• •िसान आयोग •ा गठन •िया गया था ले•िन सर•ार बदली और आयोग गायब। अब यदि •िसान आत्महत्या •ा दौर शुरू होने •े बाद भी यदि फाईलों में बंद पड़ी •ृषि नीति •ो लागू नही •िया गया तो •िसानों •े लिए आने वाला समय •ठिन होगा। पानी •मी •ो देखते हुए •िसानों •ो पांच साल पहले •े फसल च•्र परिवर्तन •ी ओर ध्यान देना होगा। •म लागत और •ाम पानी में होने वाली फसल •ी ओर आना होगा ले•िन इस•े लिए भी मजबूत सर•ारी प्रयासों •ी जरूरत हैं। (लेख• •ो हाल ही में चन्दूलाल चन्द्रा•र पत्र•ारिता फेलोशीप प्राप्त हुई हैं)

1 टिप्पणी:

  1. bhaiya, font convert karte ya karwate ho to ye bhi dekh liya karo ki pathak ise padh payega bhi ya nahi.
    aisa blog me likhne ka kya matlab ki pathak padh hi na paye

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